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Friday, 27 July 2012

मन से किया गया कर्म ही यथार्थ होता है

मन से किया गया कर्म ही यथार्थ होता है, शरीर से किया गया नहीं। जिस शरीर से पत्नी को गले लगाया जाता है उसी शरीर से पुत्री को भी गले लगाते हैं, पर मन का भाव भिन्न होने के कारण दोनो मे अंतर रहता है.....

शुभ संध्या ......जय श्री कृष्णा.....जय अम्बे......

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