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Sunday, 23 September 2012

समय जीवन की आत्मा है।

समय जीवन की आत्मा है। मौन रहकर अपना कार्य करते रहना इसका स्वभाव है। समय आंधी तूफान नहीं है। यह अपने चाहने से नहीं आता। समय तो सही समय पर ही आता है। इसे सहेजने-संवारने वाले एक न एक दिन आकाश चूमते ही हैं। समय नष्ट करना आलस्य है। समय के आगे कभी किसी की नहीं चलती। अत: समय ईश्वर है। प्रतिकूल समय में अच्छे लोगों के लिए स्थान सीमित और अयोग्य के लिए सर्वत्र स्थान रहता है। मां के गर्भ में आते ही एक-एक पल का समय कम होने लगता है। दुख के समय मनुष्य के प्रत्येक अंग में आंख हो जाती है। दुखों की उपस्थिति मानव के अस्तित्व का श्रेष्ठतम प्रमाण है। अपने समय के साथ मुठभेड़ करने वाले नाम कमाते हैं...

बोलो गजानंद महाराज की जय.......

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