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Saturday, 15 September 2012

क्या देश भी मेरे माफिक बूढ़ा होता जा रहा है ?

रोज सबेरे जब मैं शीशे में अपना चेहरा देखता हू तो शीशे मे मुझे हिंदुस्तान नजर आता है। रोज लगता है कि चेहरा बदल रहा है, पर ऐसा नहीं लगता कि बेहतर हो रहा है। मैं जानता है, मैं बूढ़ा हो रहा हू । क्या देश भी मेरे माफिक बूढ़ा होता जा रहा है ? " बूढ़ा, कमजोर, लाचार "।
अपनी नालायक औलाद के नाकारापन पर निर्भर रहने को मजबूर ???? 

ॐ जय माता दी ॐ

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