ज्यादातर आलसी बचपन से ही मानकर चलते हैं कि उनका जन्म कुछ महान करने के लिए हुआ है। नहाने के बाद तौलिये को रस्सी पर सुखाने और खाने के बाद थाली को रसोई में रखने जैसे मामूली काम करने के लिए वो पैदा नहीं हुए। इसलिए वो हमेशा कुछ 'अलग' करने की सोचते हैं। मगर इस 'सोचने' में उन्हें इतना आनंद आने लगता है कि वो 'सोचने' को ही अपना पेशा बना लेते हैं.......
जयकारा शेरोवाली का ....बोलो सच्चे दरबार की जय ......
जयकारा शेरोवाली का ....बोलो सच्चे दरबार की जय ......
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