Pages

Wednesday, 3 October 2012

"श्राद्ध स्पेशल"...

"श्राद्ध स्पेशल"...
मित्रो, आज मै श्राद्ध कर्म की बहुत ही सरल विधि आपको बता रहा हू. आइये जानते है की किस विधि से या कैसे करे श्राद्ध ??.....

जिस तिथि को आपको घर मे श्राद्ध करना हो उस दिन प्रात: काल जल्दी उठ कर स्नान आती से निवर्त हो जाये .
 पितरो के निम्मित भगवन सूर्य देव को जल अर्पण करे और अपने नित्य नियम की पूजा करके अपने रसोई घर की शुद्ध जल से साफ़ सफाई करे. और पितरो की सुरुचि यानि उनके पसंद का स्वादिष्ट भोजन बनाये . भोजन को एक थाली मे रख ले और पञ्च बलि के लिए पांच जगह २- २ पुड़ी या रोटी जो भी आपने बनायीं है उस पर थोड़ी सी खीर रख कर पञ्च पत्तलों पर रख ले . एक उपला यानि गाय के गोबर का कंडे को गरम करके किसी पात्र मे रख दे. अब आप अपने घर की दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाये . अपने सामने अपने पितरो की तस्वीर को एक चोकी पर स्थापित कर दे . एक महत्वपूर्ण बात जो मै बताना चाहता हू वो यह है की पितरो की पूजा मे रोली और चावल वर्जित है। । रोली रजोगुणी होने के कारण पितरों को नहीं चढ़ती, चंदन सतोगुणी होता है अतः भगवान शिव की तरह पितरों को भी चन्दन अर्पण किया जाता है। इसके अलावा पितरों को सफेद फूल चढ़ाए जाते हैं तो आप भी अपने पितरो को चन्दन का टिका लगाये और सफ़ेद पुष्प अर्पण करे . उनके समक्ष २ अगरबत्ती और शुद्ध घी का दीपक जलाये. हाथ जोड़ कर अपने पितरो से प्रार्थना करे और जाने अनजाने मे हुई गलती के लिए माफ़ी मांगे , अपने घर की सुख शांति और सम्रिध्ही का आशीर्वाद मांगे और उन्हें भोजन का निमंत्रण दे. भोजन की थाली और पांच जगह जो आपने पितरो की बलि रखी है उसे पितरो की तस्वीर के सामने रख दे .
गरम उपला यानि कंडे पर आप शुद्ध घी और भोजन की थाली मे से थोडा थोडा समस्त पकवानों को लेकर शुद्ध घी मे मिलाकर उपले (कंडे ) पर अपने पितरो को भोग अर्पण करे जिसे हम धूप भी कहते है . मुख्य बात यह ध्यान रखने की है की जब तक आप इस प्रकार अपने पितरो को इस प्रकार धूप नहीं देंगे तब तक आपके घर के पितृ देवता भोजन ग्रहण नहीं करते है. उस धूप से उठने वाली सुगंध से ही वो भोजन को ग्रहण करते है . धूप देने के बाद अपने सीधे हाथ मे जल लेकर भोजन की थाली के चारो और तीन भर घुमा कर अगुठे की तरफ से जल जमीन पर छोड़ दे. आप मे से बहुत से दर्शक ऐसे होंगे जीने यह नहीं पता होगा की जब हम अंगुलियों की तरफ से जल छोड़ते है तो वो जल देवता ग्रहण करते है और जब हम अंगूठे की तरफ से जल छोड़ते है तो वह जल आपके पितृ ग्रहण करते है . बहुत छोटी सी किन्तु आपक सभी के लिए बहुत ज्ञानवर्धक बात है यह. तो अगर आप चाहते है ही आपके पितृ आपका दिया हुआ भोजन और जल ग्रहण करे तो इस विधि से धूप दे और जल को अंगूठे की तरफ से छोड़े. एक बार पुन: उनसे मंगल आशीर्वाद की कामना करे . पांच बलि मे से एक एक बलि क्रमश गाय को , कुत्ते को , कौए को, एक किसी भी मांगने वाले को और एक चींटी को दे दे .भोजन की थाली घर मे बुलाये ब्राह्मिन के सामने रखे . उसे आत्मीयता से भोजन करवाए . भोजन के पश्चात ब्राह्मिन देवता के चरण छुकर आशीर्वाद प्राप्त करे और ब्राह्मिन देवता को यथा शक्ति दक्षिणा, वस्त्र आदि दे कर विदा करे .

सौजन्य - पंडित मुकेश शास्त्री, राज ज्यो पंडित मदन लाल शास्त्री स्मृति ज्योतिष केंद्र, जयपुर।mobile no...09602500110

No comments:

Post a Comment