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Friday, 2 November 2012

हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम ....तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम

कॉमनसेंस कहता है कि ऐसी चीजों को लेकर चिंता करने का कोई मतलब नहीं है, जिनका आप कुछ कर नहीं सकते। लेकिन किसी के लिए भी क्या यह कभी संभव हो पाता है? गौर से देखें तो हमारी ज्यादातर चिंताएं हमारी बेबसी से ही जुड़ी होती हैं। इनमें कुछ से तो हम किसी भी हाल में अपना पीछा नहीं छुड़ा सकते। मसलन, खुद के और अपने परिजनों के भविष्य की चिंता????

हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम ....तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम 

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