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Wednesday, 21 November 2012

" काश ! कोई लौटा देता मेरा दुबलापन.... "

" काश ! कोई लौटा देता मेरा दुबलापन.... "

आम धारणा है कि मोटे लोग अमीर होते हैं और पतले गरीब। किसी का पेट निकलने लगता है तो हम कह देते हैं, तू तो सेठजी लगने लगा है। या कहते हैं, बहुत माल कमा लिया। मुझे यह भी लगता है कि मोटे खुद को गरीब समझते होंगे क्योंकि उनके पास वह फिटनेस नहीं है जो पतले बंदे के पास है। वह टीशर्ट पहनते हैं तो उन्हें उनकी तोंद चिढ़ाती है। भीड़ वाली रेल में उन्हें कोई अडजस्ट नहीं 
करता। पेट भरकर खाने में उन्हें डर लगता है। उन्हें कैलरी और फैट की साइंस समझ में आ जाती है इसलिए खा लेने के बाद उन्हें लगता है कि कम खाया होता तो अच्छा होता। पतले पेट वाले को देख उन्हें जलन होती है। हालांकि हर बार वह यही कहते हैं कि क्या करूं, कंट्रोल नहीं होता....यह अलग बात है की मै भी अपने मोटापे से बहुत परेशान चल रहा हू आज कल.....

बनवारी रे.....जीने का सहारा तेरा नाम रे......

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