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Friday, 23 November 2012

बस जरुरत है तो नजरिया बदलने की .........

आसमान की उड़ान तो अलग बात है,बचपन मे चलना सीखते समय पहला कदम भी बिना गलती संभव नहीं था । बचपन की तरह ही जीवन भर कदम दर कदम चलते हम हजारो गलतिय करते है 
लेकिन कभी कभी इनमे से कुछ को दिल से लगा कर खुद को इतना दोष देने लगते है की अपने आत्मविश्वास के कातिल बन बैठते है। दरअसल जिन गलतियों को आप श्राप के संज्ञा दिए बैठे है , वे कई बार आपकी मददगार, आपकी हमदर्द और यहाँ तक की आपके लिए वरदान भी साबित हो सकती है . बस जरुरत है तो नजरिया बदलने की .........
ॐ जय माता दी ॐ

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