कौन पूछेगा तुम्हें शाम - ओ - सहर मेरे बाद..
इसलिए वे जब तक हैं हम उन्हें सहेजकर रखें....
गांव के घर बेचकर मां-बाप को शहर के छोटे-छोटे घरों में लाकर रख दिया जाता है। अपनी जड़ों से कटे ये लोग उपेक्षित और अकेला महसूस करते हैं। उनका दखल घर के किसी भी फैसले में नहीं होता। वे अपनों के बीच ही खुद को अजनबी महसूस करते हैं।
" ध्यान रखे की उन्हें थोड़ा अपनापन और दो मीठे बोल चाहिए "
इसलिए वे जब तक हैं हम उन्हें सहेजकर रखें....
गांव के घर बेचकर मां-बाप को शहर के छोटे-छोटे घरों में लाकर रख दिया जाता है। अपनी जड़ों से कटे ये लोग उपेक्षित और अकेला महसूस करते हैं। उनका दखल घर के किसी भी फैसले में नहीं होता। वे अपनों के बीच ही खुद को अजनबी महसूस करते हैं।
" ध्यान रखे की उन्हें थोड़ा अपनापन और दो मीठे बोल चाहिए "
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