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Thursday, 13 December 2012

कई बार सोचता हूं कि यह जो खुलासा होता है, यह खुला सा ही क्यों होता है?

कई बार सोचता हूं कि यह जो खुलासा होता है, यह खुला सा ही क्यों होता है? पूरी तरह खुला हुआ क्यों नहीं होता ?

खुल जा सिम सिम के रहस्य की तरह खुला खुला सा खुलासा होता है। खुले आंगन में खड़े लोग सोचते हैं कि अब खुला हुआ सा खुलासा जो है , वो पूरी तरह खुलेगा। लेकिन तभी खुला सा फाइलों के अंदर बंद हो जाता है और लोकतंत्र फिर नए खुलासे की प्रतीक्षा करने लगता है। खुलासों को पता होता है कि बहुत सारी फाइलें उन्हें अपने में समेट लेने को तैयार हैं। इसीलिए खुलासा हमेशा खुला हुआ सा होता है। वो पूरी तरह खुला हुआ कभी नहीं होता। 

बनवारी रे .....जीने का सहारा तेरा नाम रे......

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