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Tuesday, 1 January 2013

किसी भी मनुष्य के जीवन में संबंधों का पूरा कारवां साथ चलता है।

किसी भी मनुष्य के जीवन में संबंधों का पूरा कारवां साथ चलता है। माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी-संतान के अतिरिक्त बहुत से अन्य संबंध होते हैं जिनमें मित्र-सहयोगी, परिचित भी सम्मिलित होते जाते हैं। इन संबंधों पर मनुष्य का विश्वास टिका होता है। इन संबंधों में प्रेम का तत्व भी होता है और अपेक्षाएं भी होती हैं। अपेक्षाएं पूरी न होने पर यही संबंध जिन्हें प्रेमपूर्ण सहेजा और संवारा गया होता है, शूल बन कर कष्ट देते हैं। यह आवश्यक नहीं कि जिससे प्रेम किया जा रहा है उससे प्रेम ही प्राप्त हो। जिस संबंध पर हम गर्व कर रहे होते हैं वह उपेक्षा और अपमान का कारण भी बनता है...

ॐ जय माता दी ॐ

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