एक दिन सब कुछ यहीं छोड़कर चले जाना है। लोभ का कोई अंत नहीं। जब सिकंदर जैसे कुछ लोग नहीं ले जा पाए तो इतनी धन संपदा की लालसा करने से क्या लाभ? यह एक अंधी दौड़ है, जिसमें आप कितना भी आगे निकल जाएं, परंतु फिर भी किसी से आप पीछे रहेंगे ही और अंत में सभी कुछ यहीं छोड़कर चले जाएंगे। इसीलिए ज्ञानी-संत कह गए हैं कि हमें अपनी आवश्यकताओं और कामनाओं को सीमित करना चाहिए, क्योंकि वह तो अंतहीन है और आप उसके भंवर में फंसकर अपनी सुख-शांति सब खो देंगे.....
ॐ जय माता दी ॐ
ॐ जय माता दी ॐ
No comments:
Post a Comment