मित्रो, हमें स्वयं के अंदर विद्यमान भयानक शत्रुओं को रोकना चाहिए जो कमजोर नहीं शक्तिशाली है, शत्रु है पर मित्रो जैसे प्रतीत होते है । वे शक्तिशाली शत्रु काम, क्रोध, लोभ, मोह हैं। हमारी असावधानी के कारण ही ये शत्रु हमें परास्त कर देते हैं। ऐसे शत्रुओं को जीतकर हमें स्वयं का कल्याण करना होगा ........
प्रेम से बोले ....जय माता दी ........
प्रेम से बोले ....जय माता दी ........
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