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"Renowned astrologer Pt. Mukesh Joshi(Shastri) was born in Pratapgarh district of Rajasthan. He was interested in astrology since his childhood. He started learning astrology at the age of 8.Under the guidance of his Grandfather Raj Jyotishi Pt Madan Lal Shastri,who was one of the renowned astrologer of India in his times, Pandit Mukesh Joshi learned his basic understanding of astrology and realized its importance in human life and potential of its application in bringing positive changes in human life. He has been practicing astrology and providing guidance to many for more than 16 years now. An computer graduate, worked for several year in Dubai. After certain years he could not resist coming back to India and practice his passion for astrology and helping people full time. Pandit ji specializes in Vedic sciences, astrology and healing therapy. He can be contacted at (M) 09414824459 EMAIL:panditmukesh.shastri@gmail.com"

Sunday, 6 January 2013

आज की वास्तु क्लास .....

आज की वास्तु क्लास .....
मित्र, आज हम जानेंगे आपकी पहचान को बताने वाले आपके विसिटिंग कार्ड के बारे मे ...क्या आपका विसिटिंग कार्ड भी आपके व्यापार को , आपकी उन्नति को प्रभावित करते है ? जी हाँ , आइये जानते है की आपकी पहचान बताने वाले आपका विसिटिंग कार्ड किस तरफ से आपकी उन्नति को प्रभावित करता है ....
मित्रो, आज की दूर संचार क्रान्ति में एक दुसरे से जान-पहचान तो है, परन्तु यह याद रख पाना कठिन है कि किससे कब और किस जगह मुलाकात हुयी थी। आज सम्पर्क को स्थायित्व एंव गतिशील बनाने के लिए विजिटिंग कार्ड का दौर चल रहा है।ऐसे में आपको यह सुनिश्चित करना है कि आपका विजिटिंग कार्ड कैसा हो? वास्तु के अनुसार यदि विजिटिंग कार्ड बनाया जाये तो, सम्पर्क और व्यवासय दोनों में प्रगतिशीलता कायम रहेगी। आइये आगे बढने से पहले यह समझ लेते है कि अपने विजिटिंग कार्ड को आप वास्तु की दिशाओं से कैसे जोड़ेंगे। आप अपने विजिटंग कार्ड को अपने सामने रखें, ऊपर की ओर पूर्व दिशा होगी, नीचे पश्चिम, दाएं दक्षिण और बाएं उत्तर।
विजिटिंग कार्ड का आकार समकोण होना चाहिए। विषम कोण वाला विजिटिंग कार्ड सम्पर्क को अस्थायी एंव विवादग्रस्त बना सकता है और शीघ्र ही आपके सम्बन्ध टूट जायेंगे।विजिटिंग कार्ड में किस दिशा में क्या लिखवाया जाये, यह अधिक महत्वपूर्ण है। कार्ड के मध्य में ब्रहम स्थान से उपर आप-अपना नाम लिखा सकते हैं। मोबाइल नम्बर आग्नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व के कोने पर अकिंत करें। अपने व्यवसाय व संस्थान का नाम व पूरा पता दक्षिण-पश्चिम के कोण यानि नैरित्य कोण पर लिखवाना चाहिए । क्योंकि नैऋत्य कोण स्थिरता व व्यापकता का प्रतीक माना जाता है।कार्ड के रंगों का चयन अपनी जन्मपत्री के अनुसार करना चाहिए। ट्रेडमार्क, मोनोग्राम, स्वास्तिक, कलश और गणपति आदि के लिए कार्ड का ईशान कोण अधिक शुभ माना जाता है। एक अच्छे विजिटिंग कार्ड के लिए कार्ड का मध्य क्षेत्र, जिसे वास्तु में ब्रहम स्थान कहा जाता है। उसे खाली रखना चाहिए। यह ध्यान रखे की एक सुन्दर और वास्तु के अनुसार डिजाईन किया हुआ विजिटिंग कार्ड आपके संपर्कों में मधुरता एंव व्यक्तित्व में चुम्बकीय आकर्षण पैदा करता है।

सौजन्य - पंडित मुकेश शास्त्री, राज ज्यो पंडित मदन लाल शास्त्री स्मृति ज्योतिष केंद्र, जयपुर।mobile no...09602500110

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