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Friday, 27 July 2012

जब भीतर राम जीतते हैं और रावण हारता है तो जीवन की चौड़ाई बढ़ती है....

जीवन की सार्थकता इस बात में है कि भीतर सद्गुण जीते और दुर्गुण हारे। जब भीतर राम जीतते हैं और रावण हारता है तो जीवन की चौड़ाई बढ़ती है। समझो कि आत्मत्याग ही आत्मपरिष्कार है, आत्मपरिष्कार ही आत्मविजय है और आत्मविजय ही विश्वविजय है.......

हरे राम हरे राम रम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

जय श्री कृष्णा....जय माता दी....
आज आप का दिन मंगलमय हो........
माँ बगलामुखी आप सभी की मनोकामना पूर्ण करे....

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