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Monday, 30 July 2012

आपका हृदय सबसे बड़ा मंदिर है.....


आपका हृदय सबसे बड़ा मंदिर है। इसी में तो भगवान बसता है। वह तुम्हारे अंदर ही है। इसी बात को तो जानना है। कबीरदास जी ने इसीलिए तो कहा – “कस्तूरी कुंडली बसै , मृग ढूंढ़े बन मांहि”। यानी हमारी हालत उस हिरन की तरह है जो अपनी नाभि में कस्तूरी होने की बात से ही बेखबर रहता है और उसकी तलाश में मारा - मारा फिरता है। हमें इस बात को समझना चाहिए और भगवान को अपने भीतर ही खोजना चाहिए...

जय माता दी

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