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Wednesday, 12 September 2012

आशा और निराशा पतंग जैसी चीजें हैं...

आशा और निराशा पतंग जैसी चीजें हैं। इनकी डोर हमें न तो ज्यादा लंबी रखनी चाहिए , न ही इन्हें कभी ज्यादा ढील देनी चाहिए। आशा जिंदगी के लिए जरूरी है , लेकिन यह जितनी बड़ी होती है , उतनी ही बड़ी निराशा की गुंजाइश भी इसके साथ जुड़ती जाती है। और हां , निराशा के क्षणों में जब - तब हम झूठी आशाएं भी गढ़ लेते हैं , जो हमारे लिए खतरनाक साबित होती हैं...

ॐ जय माता दी ॐ

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