परमात्मा के निकट सुपात्र बनकर ही जाया जा सकता है। गन्ने के भीतर चाहे जितना मीठा रस भरा हो, किंतु उसका कठोर छिलका उस मिठास को प्रकट नहीं होने देता।जब इस कठोर छिलके को उतारकर गन्ने को पेरा जाता है तभी मीठा रस प्राप्त होता है। अहं का कठोर आवरण जब तक पिसकर चूर-चूर नहीं होगा तब तक जीवन का सुख फल प्राप्त नहीं होगा।
ॐ जय माता दी ॐ
ॐ जय माता दी ॐ
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