हमारी संस्कृति में स्त्री को देवी का दर्जा प्राप्त है। लेकिन देवी कह-कह कर स्त्री को उसकी औकात भी बताते रहे। वह तभी तक देवी है, जब तक त्याग-तपस्या और बलिदान करती रहती है। जैसे ही वह अपने अधिकार मांगने लगे, उसे दुष्ट मान लिया जाता है। शिक्षा कुछ रटवाती है, समाज कुछ और दिखलाता है, और हमारी महत्वाकांक्षा हमें कुछ और ही करने की प्रेरणा देती है। अपने दोगलेपन को हमने बहुत सहजता से स्वीकार कर लिया है...
ॐ जय माता दी ॐ
ॐ जय माता दी ॐ
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