इन्सान अपनी खुद की पहचान खोता जा रहा है। वह कभी मैं ये हूं कभी मैं वो हूं के बीच फंसकर रह गया है। उसने कभी अंतर्मन में झांका ही नहीं या जीवन के तमाम झंझावातों ने उसे झांकने का मौका ही नहीं दिया। जिस व्यक्ति के खुद की पहचान का संकट हो वह दूसरों या किसी और चीज की पहचान कैसे कर सकता है। उसे अच्छे बुरे का फर्क कैसे समझ में आएगा। इसलिए सबसे पहले खुद को पहचानना बहुत जरूरी है। इसके बाद ही हम अच्छे-बुरे में भेद कर पाने में समक्ष होंगे और चीजों की पहचान कर पाएंगे...
ॐ जय माता दी ॐ
ॐ जय माता दी ॐ
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