आइये जानते है की कैसे करे बैकुण्ठ चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा .
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत रुप से पूजा - अर्चना कि जाती है. बैकुण्ठाधिपति भगवान विष्णु को स्नान कराकर विधि विधान से भगवान श्री विष्णु पूजा अर्चना करनी
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत रुप से पूजा - अर्चना कि जाती है. बैकुण्ठाधिपति भगवान विष्णु को स्नान कराकर विधि विधान से भगवान श्री विष्णु पूजा अर्चना करनी
चाहिए ,धूप-दीप, चन्दन तथा पुष्पों से भगवान का पूजन तथा आरती कि जाती है. तथा उन्हें तुलसी पत्ते अर्पित करते हुए भोग लगाना चाहिए.भगवत गीता व श्री सुक्त का पाठ किया जाता है तथा भगवान विष्णु की कमल पुष्पों के साथ पूजा करते हैं. श्री विष्णु का ध्यान व कथा श्रवण करने से समस्त पापों का नाश होता है. विष्णु जी के मंत्र जाप तथा स्तोत्र पाठ करने से बैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है.इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत करना चाहिए शास्त्रों की मान्यता है कि जो एक हजार कमल पुष्पों से भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन कर शिव की पूजा अर्चना करते हैं, वह भव-बंधनों से मुक्त होकर बैकुण्ठ धाम पाते हैं. कमल पुष्पों से पूजन करने पर भगवान को समग्र आनंद प्राप्त होता है तथा भक्त को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. बैकुण्ठ चतुर्दशी को व्रत कर तारों की छांव में सरोवर, नदी इत्यादि के तट पर या अपने घर के पूजा घर मे या किसी विष्णु मंदिर या शिव मंदिर मे 14 दीपक जलाने चाहिए. जो भी भक्त वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन इस प्रकार विधि विधान से भगवान विष्णु , माँ लक्ष्मी की पूजा करते है उन्हें सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है .जीवन का अंधकार दूर हो जीवन प्रकाशमान हो जाता है . धन , आयु व आरोग्य की प्राप्ति होती है।
सौजन्य - पंडित मुकेश शास्त्री, राज ज्यो पंडित मदन लाल शास्त्री स्मृति ज्योतिष केंद्र, जयपुर।mobile no...09602500110
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