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"Renowned astrologer Pt. Mukesh Joshi(Shastri) was born in Pratapgarh district of Rajasthan. He was interested in astrology since his childhood. He started learning astrology at the age of 8.Under the guidance of his Grandfather Raj Jyotishi Pt Madan Lal Shastri,who was one of the renowned astrologer of India in his times, Pandit Mukesh Joshi learned his basic understanding of astrology and realized its importance in human life and potential of its application in bringing positive changes in human life. He has been practicing astrology and providing guidance to many for more than 16 years now. An computer graduate, worked for several year in Dubai. After certain years he could not resist coming back to India and practice his passion for astrology and helping people full time. Pandit ji specializes in Vedic sciences, astrology and healing therapy. He can be contacted at (M) 09414824459 EMAIL:panditmukesh.shastri@gmail.com"

Monday, 12 November 2012

आप सभी मित्रो की सेवा मे माँ लक्ष्मी पूजन की सरल विधि


आप सभी मित्रो की सेवा मे माँ लक्ष्मी पूजन की सरल विधि .....

दीपावली के पर्व पर सदैव माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश और कुबेर देव की पूजा की जाती है. दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में घर में या दुकान में पूजा घर मे दिन के समय पूर्व दिशा की तरफ 
मुख करके और रात के समय उत्तर दिशा की तरफ मुख करके गर्म कपडे से बने आसन पर बैठ जाये .आचमन और प्राणायाम करके अपने सम्मुख एक चौकी या बजोट रख कर उस पर लाल वस्त्र बिछाकर केसर से स्वस्तिक बना दे . हल्दी पाउडर से रंगे पीले चावलों से अष्टदल बनाकर उसपर भगवन गणेश जी की सोने या चांदी की प्रतिमा या मनमोहक तस्वीर की स्थापना करदे. भगवान गणेश जी के दाहिने तरफ माँ लक्ष्मी जी की सोने की या चांदी की मूर्ति या मनमोहक चित्र स्थापित करें दे और चित्र को पुष्पमाला पहनाएं। श्री महालक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के पास ही किसी पवित्र पात्र में केसर युक्त चन्दन से अष्टदल कमल बनाकर उस पर द्रव्य-लक्ष्मी अर्थात रुपयों को भी स्थापित कर दे . ध्यान रखे की माँ लक्ष्मी की पूजा के साथ द्रव्य लक्ष्मी की पूजा भी एक साथ करनी चाहिये। एक पात्र मे ५ हल्दी की गाठे , साबुत धनिया , कमल गट्टा , अक्षत,दूर्वा और कुछ द्रव रख कर उसके चौकी पर रख दे . इसके पश्चात धूप, अगरबती और ५ दीप शुध्द घी के और अन्य दीप तिल के तेल से प्रज्वलित करें। जल से भरा कलश भी चौकी पर रखें। कलश में मौली बांधकर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें। तत्पश्चात श्री गणेश जी को, फिर उसके बाद माँ लक्ष्मी जी को तिलक करें और पुष्प अर्पित करें। इसके पश्चात हाथ में पुष्प, अक्षत, सुपारी, सिक्का और जल लेकर भगवान गणेश जी, महा लक्ष्मी और कुबेर देव सहित सभी देवी देवताओ की पूजा का संकल्प करें। उनका आवहान करे. भगवान गणेश जी और माँ लक्ष्मी की प्रतिमा की प्रतिष्ठाकर उनका षोडशोपचार पूजन करे उसके पश्चात नवग्रह पूजन , षोडश मातृका और कलश पूजन करके प्रधान पूजा मे माँ लक्ष्मी का पूजन करे .धुप, दीप , नैवैध अर्पण करे. पान सुपारी दक्षिणा आदि अर्पण करे.
इसके पश्चात आप तिल्ली के तेल मे या शुद्ध घी मे सिंदूर मिलकर आप अपने घर के मुख्यद्वार पर और अपने व्यापार स्थल के बाहर ॐ श्री गणेशाय नम: , स्वस्तिक का चिन्ह , शुभ लाभ आदि लिखे और उनकी ॐ देहली विनायकाय नम: मन्त्र से गंध, पुष्पादी से पूजन करे.
इसी प्रकार अब आप स्याही युक्त दवांत की पूजा करे.उस पर केसर से स्वस्तिक बना दे और उसपर मोली लपेट दे . ॐ श्री महा काल्ये नम: से गंध, पुष्पादी से पूजन करे.
अब आप लेखनी पूजन करे अर्थात आप लिखने के पेन इत्यादि पर मोली बाँध कर ॐ लेखनी स्थाये देव्ये नम: मन्त्र से गंद , पुष्पादी से पूजन करे.
अब आप अपने बही खातो की पूजा करे. उसमे केसर से स्वस्तिक बनाये और ॐ श्री सरस्वत्ये नम: मन्त्र से गंध, पुष्पादी से पूजा करे.
इसके बाद आप अपनी तिजोरी की की पूजा करे. तिजोरी मे केसर से स्वस्तिक का चिन्ह बना कर भगवान कुबेर का आव्हान करे और ॐ कुबेराय नम : मन्त्र का से गंध, पुष्पादी से पूजन करे. धुप दीप और नैवैध अर्पण करे . और पूजा मे राखी हुई ५ हल्दी की गाठे, साबुत धनिया, कमल गट्टा इत्यादि अपनी तिजोरी मे रख दे .
इसी प्रकार गंध, पुष्पादी से तुला पूजन करे.
इसके बाद दीपमालिका पूजन करे . इसके लिए किसी पात्रमें 11, 21 या उससे अधिक दीपों को प्रज्वलित कर महा लक्ष्मी के समीप रखकर उस दीप-ज्योति का “ॐ दीपावल्यै नमः” मंत्र से गन्धादि उपचारों द्वारा दीपक का पूजन करे -
दीपमालिकाओं का पूजन कर अपने आचार के अनुसार संतरा, ईख, पानीफल, धानका लावा इत्यादि पदार्थ चढाये। धानका लावा (खील) भगवान श्री गणेश को , श्री महालक्ष्मी को, कुबेर देवता को तथा अन्य सभी देवी देवताओं को भी अर्पित करे। अन्तमें अन्य सभी दीपकों को प्रज्वलित कर सम्पूर्ण गृह को दीपकों अलन्कृइत करे।
अब आप भगवान श्री गणेश , माता श्री महा लक्ष्मी और भगवान जगदीश्वर की आरती पूरे परिवार सहित करें। उसके बाद अपनी मनोकामना का ध्यान करते हुए , अपनी दरिद्रता को दूर करने की प्रार्थना करते हुए पुष्पान्जलि अर्पित करें, छमा प्रार्थना करें। और अपने धन मे वृधि , अन्न मे वृधि , वंश मे वृद्धि, सुख-ऐश्वेर्य मे वृद्धि की मंगल कामना करे.
पूजनके अन्तमें हाथमें अक्षत लेकर नूतन गणेश एवं महा लक्ष्मी की प्रतिमा को छोडकर अन्य सभी आवाहित, प्रतिष्ठित एवं पूजित देवताओं को अक्षत छोडते हुए विसर्जित करे-
ध्यान रखे की दीपावली की रात को मंदिर, तुलसी माता, पीपल आदि के पास दीपक जलाना सभी संकटों से मुक्ति दिलाता है और महा लक्ष्मी पूजा में तिल का तेल का उपयोग ही श्रेष्ठ होता है | अभाव में सरसों का इस्तमाल कर सकते है |

आप सभी मित्रो को दीपावली पर्व की हार्दिक मंगल कामनाये .....
माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश ,भगवान कुबेर का आशीर्वाद आप पर बना रहे। मन की दरिद्रता, धन की दरिद्रता का नाश हो, धन का भंडार अन्न का भंडार, वंश मे वृद्धि, यश-कीर्ति मे वृद्धि हो,आप सब का कल्याण हो....

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